हाईकोर्ट में किसान आंदोलन पर 5वीं याचिकाः

Amit Grewal
फ़ाइल फ़ोटो
दिल्ली कूच को लेकर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में गुरुवार को दो याचिकाएं दायर की गईं। इनमें दिल्ली कूच के लिए हरियाणा-पंजाब बॉर्डर पर अड़े किसानों को वापस होने के आदेश देने और आंदोलन को तत्काल सूचीबद्ध करने की मांग की गई। हालांकि, कोर्ट ने आंदोलन को सूचीबद्ध करने की याचिका को कोर्ट में खारिज कर दिया गया।
किसान आंदोलन को लेकर हाईकोर्ट में अलग-मांगों पर अब तक 5 याचिकाएं दायर हो चुकी हैं। पांचवीं याचिका पंचकूला के एक वकील ने दायर की। वकील ने याचिका में हवाला दिया कि किसानों के इस आंदोलन से आम लोगों के जीवन और आजादी को ही खतरा है। साथ ही पुलिस और खुद आंदोलन का हिस्सा रहे किसानों के जीवन पर संकट है।
कोर्ट ने कहा कि सरकार अपनी जिम्मेदारी निभाने के बजाय अदालत का इस्तेमाल करने में जुटी है। सभी इस मामले में राजनीति कर रहे हैं। साथ ही किसानों के हरियाणा व पंजाब बॉर्डर पर एकत्रित होने को लेकर पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि अभी आपको कानून व्यवस्था की याद आई है। अभी तक सरकार क्या कर रही थी? प्रदर्शनकारियों को इतनी बड़ी संख्या में एकत्रित होने की अनुमति कैसे दी गई।

एक याचिका हरियाणा सरकार के खिलाफ :

दिल्ली के एक वकील ने याचिका दायर कर बॉर्डर बंद करने और इंटरनेट पर रोक को चुनौती दी है। वकील उदय प्रताप ने कहा कि किसानों को शांतिपूर्ण प्रदर्शन करना है। इसके बावजूद हरियाणा सरकार ने पंजाब से लगते बॉर्डर सील कर दिए हैं। इसके अलावा 15 जिलों में धारा 144 लगाई है। 7 जिलों में इंटरनेट बंद किया है। उन्होंने दलील दी कि बॉर्डर बंद करने और मोबाइल इंटरनेट, SMS बंद किए जाने से एक तरफ किसानों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है, तो दूसरी तरफ आम लोगों को भी परेशान किया जा रहा है

दूसरी याचिका किसानों के प्रदर्शन के खिलाफ :

दूसरी याचिका एडवोकेट अरविंद सेठ ने दायर की। इसमें उन्होंने राज्य और केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की कि पंजाब और हरियाणा में कोई भी नेशनल हाईवे, स्टेट हाईवे और रेलवे ट्रैक किसानों की तरफ से बंद न किया जाए। अगर ऐसा हुआ तो प्रदर्शनकारियों पर नेशनल हाईवे एक्ट 1956 के तहत तुरंत एक्शन लिया जाए। उन्होंने कहा कि हजारों गाड़ियां दिल्ली की तरफ जा रही हैं। किसी को भी नेशनल हाईवे ब्लॉक करने की इजाजत नहीं होनी चाहिए। आम लोगों की परेशानी बर्दाश्त नहीं की जा सकती। अस्पताल जा रहे लोग परेशान हो रहे हैं। सरकार की तरफ से प्रदर्शन के लिए जगह तय हैं, वहां प्रदर्शन हो सकता है। वह अपने प्रदर्शन से आम लोगों को परेशान नहीं कर सकते।
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