वॉशिंगटन में इजराइली दूतावास के बाहरअमेरिकी सैनिक ने खुद को आग लगाई आग ,बोला- गाजा में हो रहे नरसंहार में शामिल नहीं होऊंगा :

Himanshu Ahlawat
फ़ाइल फ़ोटो
अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन में इजराइली दूतावास के बाहर एक अमेरिकी एयरफोर्स के सैनिक ने आत्मदाह करने की कोशिश की। वो कह रहा था- मैं गाजा में हो रहे नरसंहार में शामिल नहीं होऊंगा। फिलिस्तीन को आजाद करने की जरूरत है। फ्री फिलिस्तीन। अब मैं हमले के विरोध में खतरनाक कदम उठाने वाला हूं। यह कहते ही अमेरिकी सैनिक ने खुद को आग लगा ली। दूतावास के बाहर मौजूद सिक्योरिटी ने फौरन एक्शन लेते हुए आग बुझाने की कोशिश की। फिलहाल सैनिक की हालात गंभीर है।

सैनिक पर बंदूक भी तानी गई थी :

अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सिक्योरिटी ऑफिशियल्स ने सैनिक पर बंदूक भी तानी थी। रिपोर्ट्स में कहा गया- जब सैनिक दूतावास के बाहर खड़ा था तो सिक्योरिटी ऑफिशियल्स ने उससे बात करने की कोशिश की थी। उन्होंने सैनिक से पूछा था- सर, क्या हम आपकी कोई मदद कर सकते हैं। इतना सुनते ही सैनिक ने खुद को आग लगा ली थी।

सोशल मीडिया से वीडियो हटाया गया :

अमेरिकी मीडिया के मुताबिक, आत्मदाह करने की कोशिश करने वाले सैनिक को अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। उसकी हालत गंभीर है। उसने आग लगाने से पहले ‘ट्वीच’ नाम के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लाइव स्ट्रीमिंग की थी। हालांकि घटना के फौरन बाद प्लेटफॉर्म से वीडियो हटा दिया गया।

गाजा में सीजफायर नहीं चाहता अमेरिका :

7 अक्टूबर 2023 को शुरू हुई इजराइल हमास जंग को लेकर यूनाइटेड नेशन्स सिक्योरिटी काउंसिल (UNSC) में 20 फरवरी को बैठक हुई थी। इसमें अमेरिका ने गाजा में फौरन सीजफायर किए जाने वाला प्रस्ताव खारिज कर दिया था। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, अमेरिका ने UN में तीसरी बार वीटो पावर का इस्तेमाल करते हुए सीजफायर प्रस्ताव खारिज किया था। इसके पहले अमेरिका ने दिसंबर में पेश किए गए सीजफायर प्रस्ताव को भी खारिज किया था।

ब्राजील के राष्ट्रपति भी बोले:

नेतन्याहू नरसंहार कर रहे ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डा सिल्वा ने कहा- नेतन्याहू गाजा में नरसंहार कर रहे हैं। जैसा जुल्म वो फिलिस्तीनियों पर कर रहे हैं वैसा हिटलर ने यहूदियों पर किया था। गाजा में इजराइली ऑपरेशन होलोकास्ट जैसा है। होलोकास्ट इतिहास का वो नरसंहार था, जिसमें छह साल में तकरीबन 60 लाख यहूदियों की हत्या कर दी गई थी। इनमें 15 लाख तो सिर्फ बच्चे थे। ये नरसंहार तब हुआ जब जर्मनी की सत्ता पर एडोल्फ हिटलर काबिज थे।

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