अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में 8.4% रही भारत की GDP: पिछली तिमाही में 7.6% थी; मैन्युफैक्चरिंग-माइनिंग सेक्टर का बेहतर परफॉर्मेंस

Himanshu Ahlawat
फाइल फोटो।

वित्त वर्ष 2023-2024 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट यानी GDP ग्रोथ बढ़कर 8.4% पर पहुंच गई है। मैन्युफैक्चरिंग और माइनिंग सेक्टर के बेहतर परफॉर्मेंस से GDP बढ़ी है। नेशनल स्टैटिकल ऑफिस (NSO) ने आज यानी गुरुवार को ये आंकड़े जारी किए हैं।

पिछली तिमाही में GDP 7.6% रही थी। उम्मीद से ज्यादा ग्रोथ की वजह मजबूत शहरी खपत, मैन्युफैक्चरिंग और उच्च सरकारी खर्च था। वहीं एक साल पहले यानी 2022-23 की तीसरी तिमाही में GDP महज 4.5% बढ़ी थी। GDP ग्रोथ RBI के अनुमान से बेहतर है। RBI ने तीसरी तिमाही में GDP ग्रोथ 6.5% रहने का अनुमान जताया था।

मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ बढ़कर 11.6% हुई

• माइनिंग ग्रोथ सालाना आधार पर -1.4% से बढ़कर 7.5% हो गई।

• मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ सालाना आधार पर -4.8% से 11.6% हो गई।

• कंस्ट्रक्शन ग्रोथ सालाना आधार पर बिना किसी बदलाव के 9.5% रही।

ग्रॉस वैल्यू ऐडेड 6.5% रहा

सालाना आधार पर ग्रॉस वैल्यू ऐडेड यानी GVA 4.8% से बढ़कर 6.5% रहा। इसके अलावा अप्रैल से दिसंबर तक GVA ग्रोथ सालाना आधार पर 6.9% से बढ़कर 7.5% हो गई है।

पिछली तिमाही में GVA 7.4% था

पिछली तिमाही में ग्रॉस वैल्यू ऐडेड, यानी GVA दूसरी तिमाही में 7.4% रहा। इसका 6.8% रहने का अनुमान था। वहीं पहली तिमाही में GVA 7.8% रहा था। एक साल पहले समान तिमाही में ग्रोथ रेट 5.4% था।

वित्तीय घाटा: ₹8.04 लाख करोड़ हो गया, लक्ष्य के 45% पर पहुंचा

उधर, अप्रैल से अक्टूबर तक वित्तीय घाटा बजट बढ़कर 8.04 लाख करोड़ रुपए हो गया। ये बजट अनुमान का 45% है। वित्तीय घाटे का लक्ष्य 17.86 लाख करोड़ रुपए है। पिछले साल इसी अवधि में घाटा 2022-23 के बजट अनुमान का 45.6% था। सरकार आय के मुकाबले जितना ज्यादा खर्च करती है, उसे वित्तीय घाटा कहा जाता है।

वित्त वर्ष 2024 में GDP ग्रोथ 6.4% रहने का अनुमान पिछले दिनों S&P ग्लोबल रेटिंग्स ने GDP अनुमान जारी किया था। S&P ने वित्त वर्ष 2024 के लिए भारत के ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (GDP) ग्रोथ अनुमान को बढ़ाकर 6.4% कर दिया है। पहले यह 6% था। मजबूत डोमेस्टिक मोमेंटम को इसका कारण बताया गया है।

GDP क्या है?

GDP इकोनॉमी की हेल्थ को ट्रैक करने के लिए उपयोग किए जाने वाले सबसे कॉमन इंडिकेटर्स में से एक है। GDP देश के भीतर एक स्पेसिफिक टाइम पीरियड में प्रोड्यूस सभी गुड्स और सर्विस की वैल्यू को रिप्रजेंट करती है। इसमें देश की सीमा के अंदर रहकर जो विदेशी कंपनियां प्रोडक्शन करती हैं उन्हें भी शामिल किया जाता है।

दो तरह की होती है GDP :

GDP दो तरह की होती है। रियल GDP और नॉमिनल GDP। रियल GDP में गुड्स और सर्विस की वैल्यू का कैलकुलेशन बेस ईयर की वैल्यू या स्टेबल प्राइस पर किया जाता है। फिलहाल GDP को कैलकुलेट करने के लिए बेस ईयर 2011-12 है। वहीं नॉमिनल GDP का कैलकुलेशन करंट प्राइस पर किया जाता है।

कैसे कैलकुलेट की जाती है GDP?

GDP को कैलकुलेट करने के लिए एक फॉर्मूले का इस्तेमाल किया जाता है। GDP = C +G+I+NX, यहां C का मतलब है प्राइवेट कंजम्प्शन, G का मतलब गवर्नमेंट स्पेंडिंग, I का मतलब इन्वेस्टमेंट और NX का मतलब नेट एक्सपोर्ट है।

GVA क्या है?

साधारण शब्दों में कहा जाए तो GVA से किसी अर्थव्यवस्था में होने वाले कुल आउटपुट और इनकम का पता चलता है। यह बताता है कि एक तय अवधि में इनपुट कॉस्ट और कच्चे माल का दाम निकालने के बाद कितने रुपए की वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन हुआ। इससे यह भी पता चलता है कि किस खास क्षेत्र, उद्योग या सेक्टर में कितना उत्पादन हुआ है।

नेशनल अकाउंटिंग के नजरिए से देखें तो मैक्रो लेवल पर GDP में सब्सिडी और टैक्स निकालने के बाद जो आंकड़ा मिलता है, वह GVA होता है। अगर आप प्रोडक्शन के मोर्चे पर देखेंगे तो इसको नेशनल अकाउंट्स को बैलेंस करने वाला आइटम पाएंगे।

Share This Article
Leave a comment