सोनीपतः गोहाना के रूखी गांव में पली, बढ़ी ईशा पांचाल अपने स्वर से हजारों-लाखों लोगों को मंत्रमुग्ध और मनोरंजन कर रही है। ईशा पांचाल व उसकी टीम द्वारा 500 से अधिक हरियाणवी लोकगीत व भक्तिमय भजन रिकार्ड किये जा चुके हैं और सोशल मीडिया व टेलीविजन जैसे मंचों पर उनके भजन सुने जा रहें है। ईशा की आयु महज 20 वर्ष है। भूमि दर्पण 24 टीम के साथ हुई बात में उन्होंने अपनी दिनचर्या, गायन अभ्यास व उनकी संगीत के प्रति रूचि से जुड़ी बहुत सी बाते साझा की है।
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2017 में गाये भजन ”बता मेरे यार सुदामा र” टीम की रही सदस्य :
गवर्नमेंट मॉडल स्कूल सांघी के गुरू सोमेश जागड़ा के नेतृत्व में उन्होंने पहली बार 2017 में ”बता मेरे यार सुदामा र” भजन गाया। हाल में एमडीयू में संगीत विभाग की छात्रा है। वर्ष 2017 के बाद से ही निरंतर ईशा पांचाल अपनी स्कूली टीम के साथ मिलकर हरियाणवी लोकगीत रिकार्ड कर रही है और सोशल मीडिया या यूट्यूब जैसे प्लेफार्म पर अपलोड कर रही है, जिससे दुनियाभर से लोग उन्हें सुन रहे हैं। उनके पास अनेकों बार बड़ी कंपनियों से ऑफर मिले हैं कुछ स्वीकार किए तथा कुछ भक्तिभजनों में रूझान होने के कारण स्वीकार नहीं किए।
”काला-काला कह गुजरी” व ”उड़ज्या.. उड़ज्या रे काले से काग” जैसे 500 से अधिक लोकगीत किए रिकार्ड:
ईशा पांचाल व उसकी पूरी टीम ने ”काला-काला कह गुजरी” व ”उड़ज्या.. उड़ज्या रे काले से काग” जैसे 500 से अधिक हरियाणवी लोकगीत रिकार्ड ही नहीं बल्कि उन्हें लोगों तक सुनने योग्य भी बनाया है। शादी-विवाहों जैस कार्यक्रमों में आज भी लोग उनके गानों पर नाचते, झूमते और थिरकते हैं।