मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड अगले महीने चैट जीपीटी के जैसा ऐई चैटबॉट ‘हनुमान’ लाने की तैयारी कर रही है। कंपनी इसके लिए 8 एफिलिएट यूनिवर्सिटीज के साथ मिलकर काम कर रही है, जिसे ‘भारत GPT ग्रुप’ नाम दिया गया है। मंगलवार को कंपनी ने एक टेक्नोलॉजी कॉन्फ्रेंस के दौरान ये एई चैटबॉट दिखाया। प्रेजेंटेशन के दौरान दक्षिण भारत के एक मोटरसाइकिल मैकेनिक ने अपनी मूल भाषा तमिल में AI बॉट के साथ बात की। जबकि, एक बैंकर ने हिंदी में टूल के साथ बातचीत की और हैदराबाद के एक डेवलपर ने कंप्यूटर कोड लिखने के लिए इसका इस्तेमाल किया।
हनुमान के पास होगी स्पीच-टू-टेक्स्ट कैपेबिलिटी IIT बॉम्बे के कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के चेयरमैन गणेश रामकृष्णन ने कहा कि यह एल एल एम (लार्ज लैंग्वेज मॉडल) की एक अलग स्टाइल है। हनुमान के पास स्पीच-टू-टेक्स्ट कैपेबिलिटी भी होगी। उन्होंने कहा, ‘रिलायंस जियो स्पेसिफिक यूजर्स के लिए कस्टमाइज मॉडल भी तैयार करेगा। Jio कंपनी ब्रेन पर भी काम कर रही है, जो लगभग 45 करोड़ कस्टमर्स के नेटवर्क पर AI इस्तेमाल करने के लिए एक प्लेटफॉर्म है। ये इसलिए भी जरूरी है क्योंकि देश में 1.4 अरब की आबादी में लाखों लोग पढ़ या लिख नहीं सकते।
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टेलीविजन के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम भी लॉन्च करेगी रिलायंस:
दो महीने पहले जियो इंफोकॉम के चेयरमैन आकाश अंबानी ने बताया था कि कंपनी टेलीविजन के लिए जियो अपना ऑपरेटिंग सिस्टम भी लाने पर विचार कर रही है। इसके अलावा रिलायंस जियो कॉमर्स, कम्युनिकेशन और डिवाइसेज जैसे अलग-अलग सेक्टर्स में प्रोडक्ट और सर्विसेज लॉन्च करने की तैयारी कर रही है।
सितंबर में लॉन्च किया था एयर फाइबर:
कंपनी ने इसी साल 19 सितंबर को गणेश चतुर्थी पर अपनी एयर फाइबर सर्विस लॉन्च की थी। तब ये सर्विस 8 शहरों- अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई और पुणे में शुरू की गई थी। जियो ने एयर फाइबर के इंस्टॉलेशन के लिए 1000 रुपए की फीस रखी थी। अब इसकी सर्विस 3939 कस्बों में अवेलेबल है।
बड़े डेटासेट से ट्रेन होते हैं लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLM):
लार्ज लैंग्वेज मॉडल एक डीप लर्निंग एल्गोरिदम है। इन्हें बड़े डेटासेट का इस्तेमाल करके ट्रेन किया है। इसीलिए इसे लॉर्ज कहा जाता है। यह उन्हें ट्रांसलेट करने, प्रेडिक्ट करने के अलावा टेक्स्ट और अन्य कंटेंट को जनरेट करने में सक्षम बनाता है। लॉर्ज लैंगवेज मॉडल को न्यूरल नेटवर्क (NNs) के रूप में भी जाना जाता है, जो मानव मस्तिष्क से प्रेरित कंप्यूटिंग सिस्टम हैं। लार्ज लैंगवेज मॉडल को प्रोटीन संरचनाओं को समझने, सॉफ्टवेयर कोड लिखने जैसे कई कामों के लिए ट्रेन किया जा सकता है।
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