नहरों को बचाना एक अपने आप में श्रेष्ठ व पुनीत कार्य है: क्रांतिकारी संत डॉ. अवधेश पुरी जी महाराज

Amit Grewal
सुनो नहरो की पुकार मिशन की टीम के साथ - क्रांतिकारी संत डॉ. अवधेश पुरी जी महाराज

रोहतक। सोमवार को सुनो नहरों कि पुकार मिशन के बीच क्रांतिकारी संत डॉ. अवधेश पुरी जी महाराज स्वास्तिक पीठाधीस उज्जेन ( मध्यप्रदेश ) पहुँचे। जिसका मिशन के मुख्य संरक्षक डॉ. जसमेर सिंह हुड्डा, संरक्षक दीपक छारा, महासचिव मुकेश नैनकवाल, मिशन के सीनियर सदस्य डॉ. रविंद्र नादल, प्रीत सिंह अहलावत, रघुवेंद्र मलिक, राजबीर मलिक, कैप्टन जगबीर, कर्ण सिंह अहलवात ने उनका स्मृति चिन्ह देकर स्वागत किया।
डॉ. जसमेर सिंह और दीपक छारा ने सयुक्त बयान में बताया कि सुनो नहरों की पुकार मिशन आज से 2 वर्ष 7 माह से लगातार बिना किसी ब्रेक के चाहे होली, दिवाली, 26 जनवरी, 15 अगस्त या किसी भी प्रकार कि छुट्टी मिशन ने नहीं की है । मिशन किसी भी प्रकार कि लोगों की आस्था का अनादर नहीं करता केवल और केवल उन्हें व्यवहारिक बदलाव के लिए जागरूक करता है ताकि आने वाली पीढ़ी को शुद्ध और स्वछ जल उपलब्ध कराने के लिए जागरूक करता है ।

जब से मिशन आरम्भ हुआ है देखने में आया है कि लोगों द्वारा लगभग 200 से ज्यादा समान प्लास्टिक या अन्य बोरों में भरकर इन जीवन दायनी नहरों डाल कर चले जाते है, जिससे केवल और केवल जल प्रदूषण ही होता है। इस लिए ये सोचने का एक गम्भीर विषय है । इस मिशन से आज 100 से ज्यादा लोग सक्रिय रहते हैं जिसमें स्कूली बच्चे, कॉलेज के बच्चे, सरकारी कर्मचारी, रिटायर्ड कर्मचारी, महिलाएं आदि शामिल है ।


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प्रकृति के साथ खिलवाड़ करेंगे तो,अभिशाप के रूप में हमें भोगना पड़ेगा

डॉ. अवधेश पुरी जी महाराज ने कहा कि आने वाले समय में अगर हम सच्चे मन से धर्म की रक्षा करना चाहते हैं, संस्कृति की रक्षा करना चाहते हैं, आने वाली पीढ़ी की रक्षा करना चाहते हैं, और अपने स्वास्थ्य की रक्षा करना चाहते हैं तो हमें इन पहलुओं पर गंभीरता से सोचना होगा की पूजा पाठ करते हैं तो बचे हुए सामान को हम नदियों ,नहरों में डालकर जाते हैं उनकी भावना अच्छी हो सकती है उसको मैं गलत नहीं कहूंगा लेकिन आज की स्थिति में हमें उसके अनुसार अगर देखा जाए तो जल को प्रदूषित करना बहुत गलत है। हमारे शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना है पृथ्वी, जल, आकाश, अग्नि और वायु इन पांचो को उनके स्वरूप में बना रहना देने हमारी जिम्मेवारी है, यह हमारा धर्म है।

हमारा कर्तव्य है जल की पवित्रता को बनाए रखना उसकी सत्ता को बनाए रखना कम से कम इस भौतिकवाद के युग में तो बहुत ही जरूरी हो जाता है। उन्होंने मिशन द्वारा उठाए गए इस कदम की सहाराना की और कहा कि आप दो वर्ष सात माह से लगातार इस कार्य पर कर रहे हैं यह एक पुण्य का कार्य है। उन्होंने जनता से अपील की नहरों, नदियों में किसी भी प्रकार का सामान ना डालें उनकी पवित्रता को बनाए रखें। क्योंकि अगर यह प्रदूषित होगी तो आप लोग भी बीमार होंगे।

अगर आप इस प्रकार का करते कर रहे हैं तो आप स्वयं अपने जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं आप आने वाली वीडियो के लिए भी खिलवाड़ कर रहे हैं। इसका मतलब यह है कि आपका भौतिक विकास कितना भी हो जाए लेकिन आपका मानसिक विकास नहीं हो रहा है आप प्रकृति के साथ खिलवाड़ करेंगे तो यह एक अभिशाप के रूप में हमें भोगना पड़ेगा और आने वाली पिढ़ी को भी भोगना पड़ेगा।


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उन्होंने कहा कि मैं महाकाल की भूमि से आया हूं हम भी वहां पर पर्यावरण के ऊपर कार्य कर रहे हैं उन्होंने मिशन की प्रशंसा करते हुए कहा कि समाज को भी सोचना होगा कि इस विषय में की गंभीरता को जिससे न केवल वर्तमान पीढ़ी बल्कि भविष्य की पीढ़ी को भी इसका फायदा होगा। उन्होंने कहा जो पूजा की सामग्री ऐसी है जो गलाई जा सकती है उसे गलाकर खेतों मे, गमलों मे डाल देना चाहिए, पॉप की मूर्तियों से दूरी बनाए रखनी चाहिए पत्थर की मूर्तियों को किसी ऐसे स्थान पर रख देना चाहिए।

जहां उसका अनादर न हो इस पानी में तो किसी भी प्रकार से नहीं डालना चाहिए क्योंकि अगर यह हम पानी में डालेंगे तो जल प्रदूषण फैलेगा जो सामग्री के रैपर हैं उनको पानी में नहीं डालना चाहिए उसकी हमें अग्नि को सुपुर्द कर सकते हैं । क्योंकि जिस प्रकार जल एक तत्व है उसी प्रकार अग्नि भी एक तत्व है जल जैसे पवित्र करता है अग्नि भी पवित्र करती है हमारा शरीर जैसे अग्नि को सपोर्ट किया जा सकता है तो यह प्लास्टिक के रैपर भी हम अग्नि को सपोर्ट कर सकते हैं।

कई लोग जैसे शरीर को भूमि समाधि देते हैं तो हम अपने इन सामानों का भूमि को भी समर्पित कर सकते हैं तीनों स्थितियों में हम इसका निष्पादन कर सकते हैं। आज हमें पीने के पानी की जिस प्रकार लगातार समस्या बढ़ती जा रही है अगर आने वाले समय में हम नहीं संभले तो यह समस्या एक भयंकर रूप ले सकती है अगर लगातार हमें यह गलतियां करते रहे तो यह हमारी ना समझी होगी। इसलिए हमें समय रहते संभल जाना चाहिए यह नहरे ने केवल नहरे और नदिया है यह हमारे जीवन दायनी रेखा भी है ।

ये रहे उपस्थित सदस्य:

इस अवसर पर मिशन के मुख्य संरक्षक डॉ जसमेर सिंह हुड्डा, संरक्षक दीपक छारा, महासचिव मुकेश नैनकवाल, मिशन के सीनियर सदस्य डॉ रविंद्र नादल, प्रीत सिंह अहलावत, रघुवेंद्र मलिक, राजबीर मलिक, कैप्टन जगबीर, साहिब सिंह धामड, वैदपाल नैन, कर्ण सिंह अहलवात, मनोज सहरावत , प्रदीप हुड्डा, राजबीर राज्यन, मनोज, अशोक मलिक , जतिन मलिक , कमल शर्मा , अंशु नांदल , वंश कोशिक , आदि उपस्थित रहे


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